भारत का ऑटोमोबाईल क्षेत्र पहले हीं कम बिक्री की वजह से प्रभावित है, लेकिन समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। नई समस्या के रुप में आरटीओ कार्यालय सामने आई है, जिसका नुकसान महाराष्ट्र, तमिलनाडू, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के ऑटो डीलर्स को झेलना पड़ रहा है।
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एक तो डीलर्स पहले से हीं अपने बीएस 4 वाहन को न बेच पाने की समस्या से जूझ रहा है, ऐसे में बीएस 6 वाहन को पंजीकरण न हो पाना उनके लिए नया सिरदर्द बन कर सामने आ खड़ा हुआ है। इन राज्यों के क्षेत्रिय कार्यालय में फिलहाल नई गाड़ियों का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है।
ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशनों के उपाध्यक्ष विकेंश गुलाटी ने कहा कि सरकार के आदेशों के बावजूद आऱटीओ कार्यालय नए वाहनों के पंजीकरण में तेजी नहीं दिखा रहा है, जिससे खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों जैसे राजस्थान में ऐसी हालत नहीं है औऱ वहां बहुत तेजी से काम हो रहे हैं, लेकिन यहां स्थिति अलग है, क्योंकि ज्यादातर राज्यों में अभी भी कांटैक्टलेस पंजीकरण केवल निजी वाहनों तक हीं सीमित है।
कांटैक्टलेस पंजीकरण की बात करें तो यह ग्राहकों और सभी हितधारकों द्वारा सराहा गया है, क्योंकि यह सुविधाजनक है और ट्रांसमिशन को कम करता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दिल्ली जैसे राज्यों ने इसे सफलतापूर्वक लागू भी किया है, लेकिन जहां अब तक इसे नहीं अपनाया गया है, वहां समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
वर्तमान में आरटीओ, डीलरों से लिखित उपक्रम मांग रहे हैं। आरटीओ में वाहनों का भौतिक रूप से निरीक्षण भी किया जाना आवश्यक है जिस कारण काम धीमी गति से चल रहा है। बिना निरीक्षण किए डीलर्स ग्राहकों को वाहन डिलीवर नहीं कर सकते जबकि पहले आरटीओ के अधिकारी डीलर आउटलेट पर हीं उनका निरीक्षण कर लिया करते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने ऑटो डीलर्स को अपने बीएस 4 वाहन के पंजीकरण के लिए जरुर कुछ अतिरिक्त दिन दिए थे, लेकिन जहां कांटैक्टलेस पंजीकरण की सुविधा नहीं है वहां के डीलरों के लिए ये फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है।
उम्मीद यही किया जा सकता है कि जल्द कांटैक्टलेस पंजीकरण सेवाओं को ग्राहकों के लिए अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा।