भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक टोल व्यवस्था फास्टैग को लेकर बड़ा बदलाव किया है। रविवार को फास्टैग नियमों में सुधार करते हुए सरकार ने जानकारी दी कि वाहनों में अमान्य और काम न करने वाले फास्टैग होने पर वाहन चालकों को दोगूणा टोल देना पड़ेगा।
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इससे पहले केवल उनसे से हीं दोगूणा टोल वसूला जाता था जो बिना फास्टैग के फास्टैग वाले लेन में जाते थे।
सड़क और परिवहन मंत्रालय ने यह संशोधन केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों के तहत किया है। पहले से हीं अनुमान लगाए जा रहे थे कि लोगों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी।
क्योंकि पहले ऐसी कई शिकायतें टोल कर्मियों द्वारा की गई थी, जिसमें फास्टैग लगे होने के बावजूद उसके काम न कर पाने या फिर बैलेंस न होने के कारण दूसरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
वर्तमान दौर में सड़क और परिवाहन मंत्रालय ज्यादा से ज्यादा फास्टैग का उपयोग करने पर जोर दे रहा है। क्योंकि इससे न केवल बिना देर किए लोग अपना टैक्स दे पा रहे हैं, बल्कि बिना फिजीकल कॉटैक्ट के लेन-देन भी कर रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से भी एक बेहतरीन विकल्प है।
15 दिसंबर 2019 से सरकार ने देश भर में इस व्यवस्था को अनिवार्य कर दिया था, और मई 2020 के शुरुआत तक 1.68 करोड़ फास्टैग जारी कर दिए गए हैं, दिन ब दिन यह आंकड़ा और भी बढ़ता जा रहा है। सड़क परिवहन मंत्रालय को यह उम्मीद है कि इस संशोधन के बाद लोग इसको लेकर थोड़ी सावधानी जरुर बरतेंगे।